पेंशन की टेंशन!! अगर आप सोचते है कि सरकारी नौकरी में भविष्य सुरक्षित है तो आपको अपनी सोच बदलनी होगी। क्योंकि जिस जॉब सेक्युरिटी की वजह से सरकारी नौकरी का आकर्षण बना हुआ था उसे 2004 से बंद कर दिया गया है! जी हाँ पेंशन जिसे बुढ़ापे का सहारा समझा जाता था अब वो गुजरे वक़्त की बात हो चुुकी है। और ये पेंशन सिर्फ कर्मचारियों की ही नही वरन 2004 के बाद भर्ती हुए सभी अधिकारियों की भी बंद हो गई है सिर्फ नेताओ को छोड़ कर। जी हाँ! फिर से सही सुना आपने। नेताजी आज भी अपनी पेंशन सिर्फ एक दिन के कार्यकाल से लेकर 5 साल के अपने लंबे चोड़े कार्यकाल तक को पूरा करने पर पेंशन के हकदार हैं। आखिर क्यों बन्द की गई थी पेंशन? आधिकारिक तौर पर तो सरकार द्वारा यही बताया गया है कि कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन पर सबसे ज्यादा खर्च होने के कारण इसे बंद किया जाना जरूरी था। इसकी जगह NPS जिसे नेशनल पेंशन स्कीम कहाँ जाता है ,की शुरुआत की गई। 2004 में नवनिर्वाचित सरकार ने इस बिल को पास करके लागू करदिया। शुरुवात में किसी को भी इस स्कीम के बारे में ज्यादा कुछ पता नही था इसलिए इसका वैसा विरोध भी नही हुआ जैसा आज हो रहा है।
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