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नई शिक्षा नीति- शिक्षा का नया रूप

शिक्षा नीति - एक नज़र


जैसा की आप लोगों को पता ही है देश की सरकार ने 34 साल बाद देश के लिए बनाई एक नई शिक्षा व्यवस्था को लागू करने की तरफ एक कदम बढ़ा दिया है। अभी तक देश में वर्ष 1986 में अपनाई शिक्षा प्रणाली ही प्रचलित थी । वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2014 से ही नई शिक्षा नीति के निर्माण पर जोर शोर से काम शुरू कर दिया था।  ड्राफ्ट बनने के बाद इस पर लोगों की राय मांगी गई जिस पर करीब 200000 लोगों ने प्रतिक्रिया दी और अंत में जो मसौदा बनकर तैयार हुआ वही अभी की शिक्षा नीति 2020 के रूप में जाना जाता है । यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि अभी सिर्फ ड्राफ्ट तैयार हुआ है। ड्राफ्ट तैयार होने और इसका नीति और कानूनी रूप लेने में अभी कई पड़ाव बाकी है।

पुरानी नीति और नाइ नीति में क्या है अंतर!!

नई नीति पुरानी नीति से पूरी तरह से भिन्न है । एक तरह से देखा जाए तो इसके अंदर नए जमाने के साथ शिक्षा व्यवस्था का तालमेल बनाए रखने का पुरजोर प्रयास किया गया है। जहां पुरानी नीति परीक्षाओं पर ज्यादा जोर देती हुई दिखाई देती थी वही नई नीति सीखने और स्किल डेवलपमेंट पर ज्यादा जोर देती हुई दिखाई दे रही है। पुरानी नीति टेन प्लस टू शिक्षा व्यवस्था पर आधारित थी वहीं नई नीति 5 + 3 + 3 + 4 पे आधारित हैं। 

आइए बिंदुवार समझते हैं नई शिक्षा नीति के कुछ मुख्य बिंदु

1 . हाल में चल रही बोर्ड पद्धति पूरी तरह से समाप्त की जाएगी अब सिर्फ 12वीं बोर्ड परीक्षा होगी।

2. स्ट्रीम पद्धति को अपनाया जाएगा । बायोलॉजी का छात्र कॉमर्स या आर्ट्स का विषय ले सकेगा और इसी प्रकार आर्ट्स या कॉमर्स के छात्र गणित फिजिक्स केमिस्ट्री जैसे अन्य विषय भी ले सकेंगे।

3 . स्किल डेवलपमेंट पर जोर दिया जाएगा । कक्षा छठी से ही छात्रों को स्किल डेवलपमेंट जैसे कोर्स से परिचय करवाया जाएगा।

4.  प्राइमरी शिक्षा activity-based रहेगी। अब प्री प्राइमरी से लेकर प्राइमरी कक्षाओं तक खेल खेल में शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा । इसके लिए एक नया पाठ्यक्रम भी बनाया जाएगा।

5 . कौशल विकास को एक नए विषय के रूप में कक्षा छठी से सम्मिलित किया जाएगा, ताकि जब छात्र बड़ी कक्षा में जाएं तो उन्हें अपनी पसंद के मुताबिक कौशल सीखने में कठिनाई का सामना ना करना पड़े।

6 .  नामांकन पर जोर दिया जाएगा।  तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि 100% नामांकन का लक्ष्य हासिल किया जाए। अभी लगभग दो करोड़ बच्चे स्कूलों से दूर है। नई शिक्षा नीति के द्वारा इन्हें फिर से स्कूलों से जुड़ा जाएगा।

7 . मूल्यांकन प्रक्रिया में परिवर्तन किया गया है । अब छात्र का मूल्यांकन उसके सहपाठी द्वारा उसके शिक्षक के द्वारा तथा स्वयं के द्वारा यानी तीन स्तर पर उसका मूल्यांकन किया जाएगा।

8 . भाषा की बाध्यता समाप्त होगी प्री प्राइमरी और प्राइमरी में अपनी मातृभाषा में पढ़ाई पर जोर दिया जाएगा । वही अंग्रेजी हिंदी, तमिल ,तेलुगू जैसी अन्य भाषाओं को वैकल्पिक रूप से यह भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा।

9 . कक्षा 3 के बच्चों को लिखना एवं पढ़ना आए इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाएगा । राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन के लिए परख मॉड्यूल बनाया जाएगा।  जो समय समय पर बच्चों के सर्वांगीण विकास की जांच करेगा।

10 .  vocational training के जरिए छात्रों को अपनी स्किल डेवलपमेंट और अभिरुचि पैदा करने के लिए कक्षा 6 से प्रशिक्षण दिया जाएगा।  जहां पर भी क्षेत्रीय स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने कैरियर के प्रति एक नई सोच और विचार बना सकें।

और अंत मे


कुल मिलाकर नई शिक्षा नीति कागजों पर काफी सुनहरी दिखाई देती है । लेकिन देखना यह होगा कि जहां देश में शिक्षकों की भारी कमी है , संसाधनों की भारी कमी है वहां पर इस नीति का क्रियान्वयन किस प्रकार किया जा सकता है। क्या यह भी अन्य योजनाओं की तरह सिर्फ कागजों में ही अच्छी दिखने वाली नीति साबित होगी या फिर सरकार जरूरी संसाधनों को पूरा करते हुए देश के भविष्य को विश्व स्तर की शैक्षणिक एवं मानवीय मूल्यों से भरी शिक्षा उपलब्ध करवा पाएंगी। 

प्रश्न यह भी उठता है कि जहां गांव में पर्याप्त शिक्षक एवं मूलभूत संसाधन तक नहीं है , वहां पर स्किल डेवलपमेंट ,ट्रेनिंग ,तथा संगीत एवं व्यायाम के द्वारा शिक्षा जैसी बातों का क्रियान्वयन किस तरह होगा।

अभी तो नई शिक्षा नीति का सिर्फ ड्राफ्ट बना है । और इसे मंजूरी मिली है। ड्राफ्ट को कानून का रूप लेने में अभी कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरना होगा।  इस पर अभी खुलकर चर्चा भी नहीं हुई है । इसलिए सभी दलों को चाहिए कि इस ड्राफ्ट  के प्रत्येक बिंदु पर खुलकर चर्चा हो।  तथा इस चर्चा में शिक्षक एवं आम नागरिकों को भी शामिल किया जाए उनके विचार लेने से काम नहीं बनने वाला क्योंकि अंत में इसका प्रभाव शिक्षक और आम जनता पर ही पड़ने वाला है भारत की शिक्षा नीति एक दूरगामी सोच का परिणाम है और निश्चित रूप से अगर इसका पूर्ण पालन होगा तो देश बौद्धिक संपदा के मामले में विश्व के कई देशों से आगे खड़ा हुआ मिलेगा।

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