मध्य प्रदेश । समाचार ।
स्कूल शिक्षा।
स्कूलों को खोलने में वक़्त लग सकता है!
कोरोना के संकट में देश ही नहीं विदेशों में भी स्कूलों में तालाबंदी की हुई है ,और यह कब तक चलेगा इसके ऊपर सभी देशों की सरकारें गहन विचार-विमर्श कर रही हैं। जबसे डब्ल्यूएचओ का बयान आया है कि कोरोना हवा में भी फैलता है तब से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है । विश्व में कोरोना की वजह से पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है एक अनुमान के मुताबिक पूरे विश्व में 70 प्रतिशत प्रारंभिक शिक्षा को 100 दिन या उससे अधिक का नुकसान हुआ है। और यह स्थिति कब तक रहेगी अनिश्चित बनी हुई है।
विश्व की सरकारों में विभिन्न जांच एजेंसियों की मदद से एक रिपोर्ट बनाई है जिसके नतीजे प्रारंभिक शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए एक अलग ही व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 से 18 वर्ष तक के बच्चे भी कोरोना के वाहक हो सकते हैं जिन्हें पहले कोरोना के वाहक के रूप में नहीं देखा जाता था । इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के पश्चात सरकारों को अपने शैक्षणिक संस्थान खोलने के प्रति फिर से गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता हो गई है । भारत में भी विभिन्न संस्थानों के द्वारा स्कूल एवं स्कूल परिसर में संक्रमण के खतरे को मद्देनजर रखते हुए फिलहाल इन्हें खोलने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
जल्द खोलने की जल्दबाजी भारी न पड़ जाये?
स्कूलों को खोलने की जल्दबाजी कहीं सरकारों के ऊपर भारी ना पड़ जाए और कोरोना का संक्रमण जिस गति से जुलाई माह में बढ़ रहा है उसे देखते हुए स्कूलों का जल्दी खुल पाना मुश्किल लग रहा है। प्रारंभिक शिक्षा जिसे प्राथमिक शिक्षा के रूप में भी जाना जाता है उसका खुल पाना तो और भी मुश्किल लग रहा है ।
क्योंकि इन विद्यालयों में 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चे ही पढ़ने आते हैं, और सरकार नहीं चाहती कि इतने छोटे बच्चों को संक्रमण की गंभीर बीमारी में धकेला जाए।
सरकारी अभी निश्चित नहीं कर पा रही हैं कि जब पूरे देश में कोरोना के मरीज बढ़ते जा रहे हैं तब ऐसी स्थिति में स्कूलों को अगस्त माह में खोलना वाजिब है भी या नहीं । सभी परिस्थितियों को देखते हुए यह तो निश्चित है कि अगस्त माह में भी स्कूलों का खुलना मुश्किल ही है।
कई चरणों मे खुल सकते हैं स्कूल
सूत्रों के अनुसार स्कूलों को खोलने का निर्णय विभिन्न चरणों में लिया जा सकता है।
जिसमें प्रथम चरण में हाई सेकेंडरी एवं हाई स्कूल को खोला जा सकता है। इसके बाद मिडिल स्कूल और सबसे अंत में प्राथमिक विद्यालय खोले जा सकते हैं।
कई राज्यों की बोर्ड ने अपने सिलेबस को 30 से 40% तक कम करने का फैसला लिया है जिसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश में भी हाई स्कूल हाई सेकेंडरी के अंदर सिलेबस में कटौती की जा सकती है साथ ही पढ़ाई के दिनों को भी घटाकर डेढ़ सौ से 200 दिन के अंदर किया जा सकता है एक अनुमान यह भी है कि बच्चों का मूल्यांकन तो किया जाएगा लेकिन इस वर्ष भी पूर्व की भांति अगले कक्षा उन्नत किया जा सकता है। लेकिन यह सिर्फ माध्यमिक स्तर तक के छात्रों के लिए ही होगा।
अवकाश की संख्या कम की जा सकती हैं
अगर स्कूल समय से थोड़ा लेट शुरू होते हैं तो अवकाश के दिनों की संख्या को घटाया जा सकता है ।इसका मतलब है कि विभिन्न जयंती एवं पूर्व घोषित अवकाश की संख्याओं को घटाकर विद्यालय दिवस में जोड़ा जा सकता है ,जिसका फायदा बच्चों को होने वाले लर्निंग लोस को थोड़ा कवर करने में किया जा सके साथ ही अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस वर्ष ग्रीष्मकालीन अवकाश के दिवस भी कम किए जा सकते हैं और स्कूल समय से पहले लगाए जा सकते हैं।
वैक्सिंग पर टिकी है सबकी निगाहें
सरकार की निगाहें अब वेक्सीन की सफलता पर टिकी हुई है। सरकार का मानना है कि वैक्सिंग इस साल के अंत तक उपलब्ध हो जाएगा और अगर ऐसा होता है तब स्कूल खोलने में कोई चिंता का विषय नहीं होगा ।डब्ल्यूएचओ के अनुसार मानसून के अंदर कोरोना वायरस के फैलने की संभावनाएं बढ़ जाएगी, भारत में अभी मानसून का सीजन चल रहा है जो सितंबर अंत तक चलता है इसलिए इन सब परिस्थितियों को देखते हुए स्कूलों का जल्दी खोलना बहुत ही मुश्किल है मध्य प्रदेश की सरकार ने भी 30 जुलाई तक प्रदेश के सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर रखा है ।साथ ही ई लर्निंग को बढ़ावा देते हुए डीजी लेप ओर हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम चला रखा है । जब तक विद्यालय नहीं खुलते सरकार का पूरा जोर इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने में ही लगा रहेगा ताकि बच्चों में लर्निंग लोस कम से कम किया जा सके।
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