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मध्यप्रदेश अतिथि शिक्षकों की वेतन में हुई बढ़ोत्तरी। जाने कितना ओर कब से मिलेगा वेतन?

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मध्यप्रदेश में स्कूल खोलने की तैयारी।

  मध्य प्रदेश में एक जुलाई से पहली कक्षा से हायर सेकंडरी तक स्कूल खोलने की तैयारी चल रही है। सरकार ऐसा फार्मूला तलाश रही है, जो बच्चों को संक्रमण से बचाते हुए स्कूल खोलने में मददगार हो। इसके लिए कोरोना कर्फ्यूू का फार्मूला अपनाया जा सकता है। यानी जिस जिले, शहर या गांव में कोरोना संक्रमण होगा वहां स्कूल बंद रहें और बाकी जगह खोले जाएं। ऐसे ही शहर के जिस इलाके में संक्रमण होगा, वहां के स्कूल बंद रहें। जानकर कुछ बिंदुओ पर विचार कर रहे हैं। ये हो सकता है फार्मूला 1. नौवीं से हायर सेकंडरी : किसी कक्षा के किसी सेक्शन में 40 विद्यार्थी हैं, तो 20 बच्चे एक दिन स्कूल आएंगे और शेष 20 बच्चे अगले दिन। 2. छठवीं से आठवीं : बच्चों को हफ्ते में एक या दो दिन बुलाया जा सकता है। वह भी सीमित संख्या में। इसमें स्कूल की क्षमता का भी ध्यान रखा जाएगा। 3. पहली से पांचवीं : फिलहाल ऑनलाइन ही पढ़ाया जा सकता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जायेगा कि किसी भी हालत में स्कूलों से संक्रमण न फैले।  इसके लिए शिक्षकों और बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

21 सितम्बर से स्कूल शुरू?

 क्या सच मे स्कूल 21 से शुरू होने वाले है? मध्य प्रदेश सरकार के जारी आदेश के अनुसार 21 सितम्बर से स्कूल आंशिक रूप से खुले रहेंगे।  कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए कुछ समय के लिए स्कूलों को खुला रखा जाएगा जिसमें छात्र-छात्राएं अपने माता-पिता की अनुमति लेकर अपने शिक्षकों से डाउट क्लियर करने कुछ समय के लिए विद्यालय में आ सकेंगे।  इस के लिए भारत सरकार ने एस ओ पी यानी कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर जारी किया था। जिसका पालन करने के दिशा निर्देश पूर्व में मध्य प्रदेश सरकार ने जारी कर दिए थे । उक्त आदेश के अनुसार कक्षा में आने से पूर्व छात्रों की थर्मल स्क्रीनिंग अनिवार्य की जाएगी तथा सैनिटाइजर और हाथ धोने के लिए साबुन एवं पानी की पूरी व्यवस्था की जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन की होगी । इसके साथ ही ब्लड ऑक्सीमीटर के द्वारा ऑक्सीजन की मात्रा भी नापना अनिवार्य है ।   इस संपूर्ण कवायद  का मकसद सिर्फ छात्रों को पढ़ाई में होने वाली कठिनाइयां, जो ऑनलाइन तरीके से हल नहीं हो सकती उसका समाधान करना है। पूर्व की तरह कक्षाएं लगने में अभी और समय लग सकता है। माता-पिता भी अपने

कर्मचारी बेचारा NPS का मारा

पेंशन की टेंशन!! अगर आप सोचते है कि सरकारी नौकरी में भविष्य सुरक्षित है तो आपको अपनी सोच बदलनी होगी। क्योंकि जिस जॉब सेक्युरिटी की वजह से सरकारी नौकरी का आकर्षण बना हुआ था उसे 2004 से बंद कर दिया गया है! जी हाँ  पेंशन   जिसे बुढ़ापे का सहारा समझा जाता था अब वो गुजरे वक़्त की बात हो चुुकी है।   और ये पेंशन सिर्फ कर्मचारियों की ही नही वरन 2004 के बाद भर्ती हुए सभी अधिकारियों की भी बंद हो गई है सिर्फ नेताओ को छोड़ कर। जी हाँ! फिर से सही सुना आपने।  नेताजी आज भी अपनी पेंशन सिर्फ एक दिन के कार्यकाल से लेकर 5 साल के अपने लंबे चोड़े कार्यकाल तक को पूरा करने पर पेंशन के हकदार हैं। आखिर क्यों बन्द की गई थी पेंशन? आधिकारिक तौर पर तो सरकार द्वारा यही बताया गया है कि कर्मचारियों की तनख्वाह और पेंशन पर सबसे ज्यादा खर्च होने के कारण इसे बंद किया जाना जरूरी था। इसकी जगह NPS जिसे नेशनल पेंशन स्कीम कहाँ जाता है ,की शुरुआत की गई। 2004 में नवनिर्वाचित सरकार ने इस बिल को पास करके लागू करदिया।  शुरुवात में किसी को भी इस स्कीम के बारे में ज्यादा कुछ पता नही था इसलिए इसका वैसा विरोध भी नही हुआ जैसा आज हो रहा है।

नई शिक्षा नीति- शिक्षा का नया रूप

शिक्षा नीति - एक नज़र जैसा की आप लोगों को पता ही है देश की सरकार ने 34 साल बाद देश के लिए बनाई एक नई शिक्षा व्यवस्था को लागू करने की तरफ एक कदम बढ़ा दिया है। अभी तक देश में वर्ष 1986 में अपनाई शिक्षा प्रणाली ही प्रचलित थी । वर्तमान सरकार ने सत्ता में आने के बाद 2014 से ही नई शिक्षा नीति के निर्माण पर जोर शोर से काम शुरू कर दिया था।  ड्राफ्ट बनने के बाद इस पर लोगों की राय मांगी गई जिस पर करीब 200000 लोगों ने प्रतिक्रिया दी और अंत में जो मसौदा बनकर तैयार हुआ वही अभी की शिक्षा नीति 2020 के रूप में जाना जाता है । यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि अभी सिर्फ ड्राफ्ट तैयार हुआ है। ड्राफ्ट तैयार होने और इसका नीति और कानूनी रूप लेने में अभी कई पड़ाव बाकी है। पुरानी नीति और नाइ नीति में क्या है अंतर!! नई नीति पुरानी नीति से पूरी तरह से भिन्न है । एक तरह से देखा जाए तो इसके अंदर नए जमाने के साथ शिक्षा व्यवस्था का तालमेल बनाए रखने का पुरजोर प्रयास किया गया है। जहां पुरानी नीति परीक्षाओं पर ज्यादा जोर देती हुई दिखाई देती थी वही नई नीति सीखने और स्किल डेवलपमेंट पर ज्यादा जोर देती हुई द

स्कूलों में अवकाश!! लेकिन ये काम रहेंगे चालू

स्कूलों में अवकाश घोषित। जैसा कि सभी को लग रहा था गुरुवार को वही हुआ। मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र की गाईड लाइन को मानते हुवे अनलॉक 3 में स्कूलों में 30 अगस्त तक अवकाश घोषित कर दिया है। इस संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जा चुके है। स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों में पढ़ाई का नुकसान न हो इसके लिए ऑनलाइन गतिविधियों पर कोई रोक नही लगाई गई है। इसी के साथ "हमारा घर हमारा विद्यालय" अभियान भी जारी रहेगा ये भी तय हो गया है। शिक्षकों की उपस्थिति भी तय। इसीके साथ विभाग ने एक अन्य आदेश भी निकाल दिया है, जिसमे स्प्ष्ट किया गया है कि स्कूलों में इस दौरान सिर्फ 50%शिक्षक ही उपस्थित रहेंगे। ऐसा शिक्षकों को कोरोना महामारी से बचाने और सोशल डिस्टेनसिंग के लिए किया गया है।  हमारा घर हमारा विद्यालय पर पूरा जोर। शिक्षा विभाग का अब पूरा ध्यान हमारा घर हमारा विद्यालय के क्रियान्वयन पर हो गया है। विभाग किसी भी हालत में बच्चों के लर्निग लोस्स को कम करना चाहता है। ताकि स्कूल शुरू होने पर बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह बना रहे और कम समय मे ही वे अपने सीखने के स्तर को बरकरा

हमारा घर हमारा विद्यालय- समीक्षा के दायरे में।

मध्यप्रदेश। स्कूल शिक्षा विभाग। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बड़े-बड़े ही जोर शोर से शुरू की गई हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान अब खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। जैसे ही अखबारों में शिक्षकों के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर सुर्खियों में आई और शिक्षक संघ द्वारा इस मामले को जोर-शोर से उठा कर मंत्री जी के समक्ष रखा गया तभी से इस अभियान के आगे बने रहने के प्रति संशय की स्थिति बनी हुई है । विदित हो कि मध्य प्रदेश के हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान के अंतर्गत शिक्षकों को ऐसे बच्चों के घर घर जाकर अध्यापन कार्य करवाना है जहां पर टीवी , मोबाइल या रेडियो की सुविधा नहीं है।  इस कार्य के अंतर्गत उन्हें प्रतिदिन की रिपोर्टिंग तथा उनके माता-पिता से हुए वार्तालाप की जानकारी ऑनलाइन माध्यम से विभाग को प्रदान करना होती है।  इसी सिलसिले में जब से यह अभियान शुरू हुआ है तब से प्रदेश के कई जिलों से शिक्षकों की कोरोना पॉजिटिव होने की खबरें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।  शिक्षक संघ का कहना है कि प्रदेश सरकार जानबूझकर शिक्षकों को बिना किसी सुरक्षा साधन मुहैया करवाते हुए कोरोना के इस काल में संक्रमित होंने