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जुलाई, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्कूलों में अवकाश!! लेकिन ये काम रहेंगे चालू

स्कूलों में अवकाश घोषित। जैसा कि सभी को लग रहा था गुरुवार को वही हुआ। मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र की गाईड लाइन को मानते हुवे अनलॉक 3 में स्कूलों में 30 अगस्त तक अवकाश घोषित कर दिया है। इस संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए जा चुके है। स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों में पढ़ाई का नुकसान न हो इसके लिए ऑनलाइन गतिविधियों पर कोई रोक नही लगाई गई है। इसी के साथ "हमारा घर हमारा विद्यालय" अभियान भी जारी रहेगा ये भी तय हो गया है। शिक्षकों की उपस्थिति भी तय। इसीके साथ विभाग ने एक अन्य आदेश भी निकाल दिया है, जिसमे स्प्ष्ट किया गया है कि स्कूलों में इस दौरान सिर्फ 50%शिक्षक ही उपस्थित रहेंगे। ऐसा शिक्षकों को कोरोना महामारी से बचाने और सोशल डिस्टेनसिंग के लिए किया गया है।  हमारा घर हमारा विद्यालय पर पूरा जोर। शिक्षा विभाग का अब पूरा ध्यान हमारा घर हमारा विद्यालय के क्रियान्वयन पर हो गया है। विभाग किसी भी हालत में बच्चों के लर्निग लोस्स को कम करना चाहता है। ताकि स्कूल शुरू होने पर बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह बना रहे और कम समय मे ही वे अपने सीखने के स्तर को बरकरा

हमारा घर हमारा विद्यालय- समीक्षा के दायरे में।

मध्यप्रदेश। स्कूल शिक्षा विभाग। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बड़े-बड़े ही जोर शोर से शुरू की गई हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान अब खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। जैसे ही अखबारों में शिक्षकों के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर सुर्खियों में आई और शिक्षक संघ द्वारा इस मामले को जोर-शोर से उठा कर मंत्री जी के समक्ष रखा गया तभी से इस अभियान के आगे बने रहने के प्रति संशय की स्थिति बनी हुई है । विदित हो कि मध्य प्रदेश के हमारा घर हमारा विद्यालय अभियान के अंतर्गत शिक्षकों को ऐसे बच्चों के घर घर जाकर अध्यापन कार्य करवाना है जहां पर टीवी , मोबाइल या रेडियो की सुविधा नहीं है।  इस कार्य के अंतर्गत उन्हें प्रतिदिन की रिपोर्टिंग तथा उनके माता-पिता से हुए वार्तालाप की जानकारी ऑनलाइन माध्यम से विभाग को प्रदान करना होती है।  इसी सिलसिले में जब से यह अभियान शुरू हुआ है तब से प्रदेश के कई जिलों से शिक्षकों की कोरोना पॉजिटिव होने की खबरें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।  शिक्षक संघ का कहना है कि प्रदेश सरकार जानबूझकर शिक्षकों को बिना किसी सुरक्षा साधन मुहैया करवाते हुए कोरोना के इस काल में संक्रमित होंने

मध्यप्रदेश - वार्षिक वेतनवृद्धि पर रोक!

कर्मचारियों और अधिकारियों की वेतनवृद्धि पर रोक  मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश के कर्मचारियों और अधिकारियों के डीए और एरियर्स पर लगी रोक यथावत जारी है। लेकिन इसी बीच अब खबर आ रही है कि वित्त विभाग ने इस वर्ष लगने वाली वार्षिक वेतन वृद्धि पर भी रोक लगाने का निर्णय लिया है । इस संबंध में मसूदा बनाकर मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए फाइल आज शाम तक भेजे जाने की संभावना है । अगर मुख्यमंत्री इसके ऊपर अपनी सहमति दे देते हैं तो प्रदेश के लगभग साढे सात लाख कर्मचारियों और अधिकारियों को मिलने वाला वार्षिक वेतन वृद्धि का बढ़ा हुआ वेतन इस माह नहीं मिल पाएगा। ज्ञात रहे कि वित्त विभाग ने इससे पहले पोर्टल की खराबी को और सॉफ्टवेयर अपडेटिंग को कारण बताते हुए वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं दिए जाने के बारे में जानकारी दी थी लेकिन अब यह स्पष्ट हो चुका है कि आईएफएमएस पोर्टल पर वार्षिक वेतन वृद्धि का ऑप्शन डिसएबल कर यह प्रक्रिया पहले से ही विभागीय स्तर पर चल रही थी। मध्य प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी जो पहले ही डीए तथा अपने एरियर से वंचित है उन पर एक और मार वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने पर पड़ी है । कर्मचारी संगठनो

कब खुलेंगे स्कूल? पसोपेश में सरकार

 मध्य प्रदेश । समाचार । स्कूल शिक्षा। स्कूलों को खोलने में वक़्त लग सकता है!  कोरोना के संकट में देश ही नहीं विदेशों में भी स्कूलों में तालाबंदी की हुई है ,और यह कब तक चलेगा इसके ऊपर सभी देशों की सरकारें गहन विचार-विमर्श कर रही हैं। जबसे डब्ल्यूएचओ का बयान आया है कि कोरोना हवा में भी फैलता है तब से संक्रमण का खतरा बढ़ गया है । विश्व में कोरोना की वजह से पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है एक अनुमान के मुताबिक पूरे विश्व में 70 प्रतिशत प्रारंभिक शिक्षा को 100 दिन या उससे अधिक का नुकसान हुआ है। और यह स्थिति कब तक रहेगी अनिश्चित बनी हुई है।  विश्व की सरकारों में विभिन्न जांच एजेंसियों की मदद से एक रिपोर्ट बनाई है जिसके नतीजे प्रारंभिक शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए एक अलग ही व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि 10 से 18 वर्ष तक के बच्चे भी कोरोना के वाहक हो सकते हैं जिन्हें पहले कोरोना के वाहक के रूप में नहीं देखा जाता था । इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के पश्चात सरकारों को अपने शैक्षणिक संस्थान खोलने के प्रति फिर से गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता हो गई है । भारत में भी

वेतन कटौती की मार कर्मचारियों का हाल बेहाल

मध्य प्रदेश  मध्य प्रदेश पर्यटन  विकास निगम। वेतन कटौती की मार मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक बुरी खबर आई है। मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम में यह निर्णय लिया है कि 1 जुलाई 2020 से लेकर मार्च 2021 तक निगम में कार्य करने वाले सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों की मासिक सैलरी से 40% से लेकर 15% तक की कटौती की जाएगी।  जैसा कि आपको पता है कोरोना की वजह से पर्यटन का क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुआ है , और इस को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विकास निगम ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों के जुलाई माह की सैलरी से कटौती प्रारंभ कर दी है। निगम ने यह भी बताया है कि कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम कर रहे कर्मचारियों को सिर्फ 15 दिन ही काम करना होगा, और उन्हें 15 दिन का ही वेतन दिया जाएगा नियमित कर्मचारियों की सैलरी से  प्रतिमाह उनकी श्रेणी के हिसाब से 40% से लेकर 15% तक वेतन कटौती का प्रावधान किया गया है, जो अगले वर्ष मार्च माह तक चलेगा। कटे हुए वेतन का भुगतान ऐसे होगा   इस अवधि में काटे गए वेतन को निगम अप्रैल 2021 से 12 किस्तों में बिना ब्याज की वापस  लौटायेगा।  इसी प

वैचारिक लेख- मेरा घर मेरा विद्यालय सच्चाई और सफलता (एक नजर में)

 मध्य प्रदेश।  स्कूल शिक्षा विभाग   जुलाई यूं तो मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग अपने अतरंगी आदेशों के कारण हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। यहां पर शिक्षक पढ़ाने के अलावा 40 अन्य तरह के काम भी करते हैं और अंत में हर असफलता का ठीकरा भी उन्हीं के माथे मड दिया जाता है, और बेचारा शिक्षक मेहनत करने के बाद भी उसका फल तो दूर बदले में सिर्फ और सिर्फ बदनामी ही झेलता है ।  इसके पीछे प्रारंभिक तौर पर योजनाओं के क्रियान्वयन निर्माण में शिक्षकों की सहभागिता का ना होना है ।योजनाओं को बनाया तो बड़ी ही समझदारी से जाता है,लेकिन जमीन पर क्रियान्वयन सच्चाई के धरातल पर होता है तो यह उतना परिणाम नहीं दे पाते जितना कि इनसे उम्मीद की जाती है । आखिर ऐसा क्यों कभी किसी ने इस पर विचार किया है । मेरे ख्याल से तो नहीं !!  अगर किया होता तो आज प्रदेश ही नहीं देश की शिक्षा व्यवस्था भी इतनी नीचे नहीं गिरी होती देश के विद्यालयों को, जनकल्याणकारी योजनाओं का केंद्र बना दिया गया है। मुफ्त पुस्तक, मुफ्त खाद्यान्न,मुफ्त साइकिल,मुफ्त यूनिफार्म, स्कॉलरशिप और न जाने कितनी ही योजनाएं विद्यालय के केंद्र में रहकर ही

मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर रोक

 मध्य प्रदेश।। रोज़गार समाचार।। ब्रेकिंग न्यूज़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा ली गई उच्च माध्यमिक शिक्षक तथा माध्यमिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया फिर ठंडे बस्ते में चली गई है । बड़ी मुश्किल से शुरू हुई प्रक्रिया घोंघे की रफ्तार से चलते हुए काउंसलिंग के दौर तक पहुंची थी ,और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का कार्य शुरू हो गया था।  लेकिन अचानक से शासन में निर्णय लिया है कि इस प्रक्रिया को आगामी आदेश तक बंद किया जाए।  जैसा की आप लोगों को पता है मध्य प्रदेश में 7 सालों के पश्चात शिक्षकों की भर्ती होना थी । प्रदेश के स्कूलों में उच्च माध्यमिक शिक्षक तथा माध्यमिक शिक्षकों के पद वर्षो से रिक्त हैं, और शिवराज सरकार ने अपने शासनकाल के अंतिम समय में इसकी परीक्षा आयोजित करवाई थी । तभी से यह परीक्षा कछुए की रेस की तरह धीमे धीमे आगे बढ़ रही थी। एक बार फिर से शिवराज सरकार बनने पर अभ्यर्थियों में उम्मीद बनी थी कि किसी भी प्रकार इस बार यह भर्ती प्रक्रिया पूरी हुई जाएगी । तारीख आगे बढ़ते बढ़ते डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी जिसमें 2 दिनों तक डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी हुआ लेकिन अचानक शासन

मुफ्त की रोटियों से उपजा बवाल

मध्यप्रदेश। ये कैसी पत्रकारिता- आजकल पत्रकार बनना ओर उससे भी ऊपर पत्रकारिता को नीचे गिराना बहुत आसान हो गया है। पत्रकार, अपने मूल काम से हटकर ब्लैकमेलर ज्यादा हो गए है।  बहुत से ऐसे छोटे पत्रकार है जिनकी रोजी रोटी ऐसी ही कुकृत्यों से चलती है।  मामला उठा है भोपाल के एक अखबार के लेख से। इसमे शिक्षक समुदाय को लेकर बेहद   अपमानजनक टिप्पणी की गई हैै। शिक्षकों  की मर्यादा को कलंकित  करने का प्रयास इस अखबार ने किया है, जिसके कारण पूरे शिक्षक समाज में बेहद रोष व्याप्त है।  अखबार के लेख में शिक्षकों को 3 माह से मुफ्त की रोटी तोड़ने वाला बताया है जिस पर ही ये बवाल खड़ा हुआ है।   शिक्षक समुदाय ने इस पेपर की कतरन को वायरल कर लोगों को यह बताने का प्रयास किया है कि समाज में पत्रकारिता का स्तर कितना नीचे गिर चुका है।  इन पत्रकारों को यह भी पता नहीं कि वह जो लिख रहे हैं, उसका सच्चाई से कितना लेना देना है। जब इस संबंध में शिक्षकों से बात की गई तो उन्होंने इस लेख पर कड़ा विरोध जताया । उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में सिर्फ शिक्षक ही घर नहीं बैठे थे लगभग सभी विभाग में ताले लगे हुए थे, लेकिन पत्रका

घर घर शिक्षक- शिक्षा के साथ नित् नए प्रयोग।

 शिक्षा की प्रयोगशाला-  मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग के नए आदेश के अनुसार अब बच्चों का घर ही उनका स्कूल बन गया है। और इनका जिम्मा मुख्य तौर पर उनके माता-पिता तथा घर वालों को दिया गया है ।स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के अनुसार अब घर के एक कक्ष को स्कूल के अनुसार वातावरण देने के लिए पालक  थालिया या घंटी बजाकर नियत समय पर अपने बच्चों को पढ़ाने  बैठाएँगे ,लेकिन जिस ज्वलंत प्रश्न का उत्तर हर कोई देने से बच रहा है  वह यह है कि अगर पालक बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन भर घर पर रहेंगे तो फिर काम कौन करेगा ?ग्रामीण अंचलों में देखा गया है कि माता पिता सुबह से ही मजदूरी और खेती के काम में लग जाते हैं ,ऐसी स्थिति में बच्चों को पढ़ाने बिठाना यह चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।  कुछ रिपोर्ट के अनुसार जब शिक्षक घर-घर जाकर फीडबैक ले रहे थे तो उन्होंने बताया कि शहरों में तो फिर भी घर पर कोई मिल जाता है ,लेकिन ग्रामीण अंचलों के घरों में लोग ताले लगाकर खेती करने या मजदूरी करने अपने बच्चों को साथ लेकर निकल जाते हैं। और अगर बच्चे हैं भी , तो वह आस-पड़ोस में खेलने चले जाते हैं अब उन्हें पढ़